प्रहरी बन जो देहरी के दीप सा
जलता है।
बहिन की आँखों में सपना बन पलता है।
भाई है वो जिसके सूरज- से माथे पर
बहिन का तिलक चन्दन सा खिलता है।
आँखों के नूर हैं ये मन की मधुर भावना
जुग जुग जियें यही हर बहन की आराधना।
डाॅ.विनोद कालरा
जलता है।
बहिन की आँखों में सपना बन पलता है।
भाई है वो जिसके सूरज- से माथे पर
बहिन का तिलक चन्दन सा खिलता है।
आँखों के नूर हैं ये मन की मधुर भावना
जुग जुग जियें यही हर बहन की आराधना।
डाॅ.विनोद कालरा
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